वर्ल्ड बैंक (World Bank)
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विश्व बैंक (World Bank) : एक विस्तृत हिंदी लेख
परिचय
विश्व बैंक (World Bank) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करके गरीबी उन्मूलन और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब विश्व को आर्थिक रूप से पुनर्निर्माण और विकास की आवश्यकता थी। विश्व बैंक विकास परियोजनाओं के लिए ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। यह संस्था विश्व की सबसे प्रभावशाली वित्तीय संस्थाओं में से एक मानी जाती है।
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विश्व बैंक का इतिहास
स्थापना की पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विश्व के अधिकांश देश आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्स (Bretton Woods, New Hampshire) में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे ब्रेटन वुड्स सम्मेलन कहा जाता है। इस सम्मेलन में दो प्रमुख संस्थाओं की स्थापना का निर्णय लिया गया:
1. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
2. अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD)
इसी IBRD को बाद में 'विश्व बैंक' के नाम से जाना गया।
स्थापना
विश्व बैंक की आधिकारिक स्थापना 27 दिसंबर 1945 को हुई और इसका संचालन 25 जून 1946 से शुरू हुआ। इसका पहला ऋण 1947 में फ्रांस को दिया गया था।
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संरचना और संगठनात्मक ढांचा
विश्व बैंक समूह (World Bank Group) पाँच संगठनों से मिलकर बना है:
1. अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD)
2. अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
3. अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
4. बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA)
5. निवेश विवाद निपटान के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र (ICSID)
मुख्यालय
विश्व बैंक का मुख्यालय वॉशिंगटन डी.सी., अमेरिका में स्थित है।
अध्यक्ष
विश्व बैंक का अध्यक्ष आमतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नामित किया जाता है और इसका कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। 2024 में वर्तमान अध्यक्ष अजय बंगा हैं, जो भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने यह पद संभाला।
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कार्य और उद्देश्य
मुख्य उद्देश्य
1. विकासशील देशों में गरीबी कम करना
2. सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
3. मानव संसाधनों और बुनियादी ढांचे का विकास करना
4. शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, कृषि आदि क्षेत्रों में सुधार लाना
मुख्य कार्य
विकास परियोजनाओं के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करना
तकनीकी और परामर्श सेवाएं देना
नीतिगत और संस्थागत सुधारों में सहयोग करना
निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
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कार्य प्रणाली और ऋण प्रक्रिया
ऋण देने की प्रक्रिया
1. सरकार परियोजना प्रस्ताव देती है
2. विश्व बैंक उसका मूल्यांकन करता है
3. यदि परियोजना प्रभावी होती है, तो उसे मंजूरी दी जाती है
4. ऋण या अनुदान प्रदान किया जाता है
5. परियोजना की निगरानी और मूल्यांकन किया जाता है
ऋण की शर्तें
IBRD द्वारा दिए गए ऋण सामान्यतः बाजार दरों पर होते हैं
IDA द्वारा दिए गए ऋण बहुत कम ब्याज दर (या बिना ब्याज) पर होते हैं
भुगतान की अवधि 25 से 40 वर्ष तक हो सकती है
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विकासशील देशों के लिए महत्व
गरीबी उन्मूलन
विश्व बैंक गरीबी हटाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संसाधन आदि क्षेत्रों में परियोजनाएं शुरू करता है।
आर्थिक विकास
यह बैंक बुनियादी ढांचे के विकास जैसे कि सड़क, पुल, बिजली, सिंचाई, परिवहन आदि में निवेश करता है।
आपदा प्रबंधन
प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकटों के समय यह वित्तीय सहायता और पुनर्निर्माण में सहयोग देता है।
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भारत और विश्व बैंक संबंध
सहयोग की शुरुआत
भारत 1944 में विश्व बैंक का सदस्य बना और 1948 में भारत को पहला ऋण मिला।
भारत को अब तक मिला सहयोग
अब तक भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, ग्रामीण विकास, नगरीय विकास आदि क्षेत्रों में हजारों करोड़ डॉलर की सहायता मिल चुकी है।
प्रमुख परियोजनाएं
1. ग्रामीण सड़क योजना
2. जल जीवन मिशन
3. स्वच्छ भारत मिशन
4. स्टेट हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट
5. पीएम आत्मनिर्भर स्कीम सहयोग
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आलोचनाएं और चुनौतियां
आलोचनाएं
1. नीतिगत हस्तक्षेप – कई बार यह देश की नीतियों में दखल देता है।
2. ऋण की शर्तें कठिन – कुछ देशों के लिए यह शर्तें असहज होती हैं।
3. पारदर्शिता की कमी – परियोजनाओं के प्रभाव का पूर्ण आकलन नहीं होता।
चुनौतियां
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता
जलवायु परिवर्तन
ऋण लौटाने में कठिनाई
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति
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भविष्य की दिशा
विश्व बैंक अब जलवायु परिवर्तन, डिजिटलीकरण, महिला सशक्तिकरण और नवाचार जैसे नए क्षेत्रों में निवेश बढ़ा रहा है। इसका उद्देश्य है कि 2030 तक वैश्विक गरीबी को आधा कर दिया जाए और दुनिया के हर नागरिक को एक सम्मानजनक जीवन मिल सके।
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निष्कर्ष
विश्व बैंक एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक संस्था है जो आर्थिक और सामाजिक विकास में विकासशील देशों की सहायता करता है। भारत जैसे विशाल देश के लिए यह संस्था आर्थिक सुधारों और आधारभूत संरचना के विकास में विशेष भूमिका निभा रही है। यद्यपि इसकी कुछ सीमाएं और आलोचनाएं हैं, लेकिन इसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
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