सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD): एक विस्तृत अध्ययन
परिचय
सार्वजनिक निर्माण विभाग, जिसे आमतौर पर PWD (Public Works Department) कहा जाता है, भारत सरकार तथा राज्य सरकारों का एक प्रमुख विभाग है जो देश के बुनियादी ढांचे के विकास, रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता है। यह विभाग सड़कों, पुलों, सरकारी भवनों, सिंचाई प्रणाली, जल निकासी व्यवस्था और अन्य आधारभूत ढांचों के निर्माण एवं अनुरक्षण का कार्य करता है। भारत के प्रत्येक राज्य में PWD एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य करता है, हालांकि इसकी कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियाँ प्रायः एक जैसी होती हैं।
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PWD का इतिहास
भारत में PWD की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुई थी। ब्रिटिश सरकार ने 19वीं सदी में इस विभाग की नींव रखी थी ताकि प्रशासनिक सुविधाओं, सैनिक आवागमन, और व्यापारिक गतिविधियों के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किया जा सके। वर्ष 1854 में लॉर्ड डलहौजी के समय भारत में PWD को औपचारिक रूप से एक अलग विभाग के रूप में स्थापित किया गया।
ब्रिटिश काल में PWD के अधीन कई प्रमुख परियोजनाएँ शुरू हुईं, जैसे रेलवे लाइनों का निर्माण, सड़कों का विस्तार, नहरें, डैम्स आदि। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने इस विभाग को और अधिक संगठित और शक्तिशाली बनाकर देश के विकास में अहम योगदान सुनिश्चित किया।
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PWD की संरचना
PWD की संरचना आमतौर पर निम्नलिखित पदों पर आधारित होती है:
1. मुख्य अभियंता (Chief Engineer): विभाग का सर्वोच्च तकनीकी अधिकारी।
2. अधीक्षण अभियंता (Superintending Engineer): क्षेत्रीय स्तर पर परियोजनाओं की निगरानी करता है।
3. कार्यपालक अभियंता (Executive Engineer): परियोजनाओं के क्रियान्वयन और प्रबंधन की जिम्मेदारी।
4. सहायक अभियंता (Assistant Engineer): कार्यस्थल पर निगरानी करता है।
5. कनिष्ठ अभियंता (Junior Engineer): तकनीकी निरीक्षण और दैनिक कार्यों की निगरानी करता है।
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PWD के प्रमुख कार्य
1. सड़क निर्माण एवं रखरखाव:
राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर की सड़कों का निर्माण।
ग्रामीण सड़कों को पक्की सड़कों में परिवर्तित करना।
सड़क सुरक्षा के उपाय जैसे साइनेज, गार्ड रेल, स्पीड ब्रेकर आदि लगाना।
2. सरकारी भवनों का निर्माण:
स्कूल, अस्पताल, कार्यालय भवन, पुलिस स्टेशन, अदालत आदि का निर्माण।
इन भवनों का नियमित रखरखाव।
3. पुल और फ्लाईओवर:
यातायात को बेहतर बनाने के लिए पुलों और फ्लाईओवर का निर्माण।
पुराने पुलों का निरीक्षण और मरम्मत।
4. जल आपूर्ति और जल निकासी:
शहरी और ग्रामीण जलापूर्ति व्यवस्था की स्थापना।
वर्षा जल निकासी और सीवरेज प्रणाली का प्रबंधन।
5. सिंचाई परियोजनाएँ:
नहरों, डैम्स और जलाशयों का निर्माण और रखरखाव।
किसानों को समय पर जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
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राज्यों में PWD का कार्यक्षेत्र
हर राज्य में PWD का अपना स्वतंत्र विभाग होता है, जो राज्य सरकार के अधीन कार्य करता है। नीचे कुछ राज्यों के PWD की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख किया गया है:
उत्तर प्रदेश PWD:
भारत का सबसे बड़ा PWD विभाग।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हजारों किलोमीटर सड़कें बनाई गईं।
ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन टेंडरिंग प्रणाली लागू।
महाराष्ट्र PWD:
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाओं का निर्माण।
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में भागीदारी।
राजस्थान PWD:
रेगिस्तानी इलाकों में सड़क और जल प्रबंधन प्रणाली विकसित करना।
ग्रामीण कनेक्टिविटी बढ़ाना।
पंजाब और हरियाणा PWD:
कृषि आधारित संरचनाओं पर विशेष ध्यान।
ग्रामीण से शहरी क्षेत्र को जोड़ने वाले पुल और सड़कें।
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प्रमुख परियोजनाएँ
1. भारतमाला परियोजना:
भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना जो सड़क परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाने पर केंद्रित है।
कई हिस्सों में PWD इस योजना को लागू कर रहा है।
2. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY):
ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने हेतु PWD सक्रिय रूप से कार्य करता है।
3. स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी मिशन:
इन अभियानों में जल निकासी व्यवस्था और शहरी आधारभूत ढांचे के निर्माण में योगदान।
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PWD में करियर और रोजगार
PWD में इंजीनियरिंग और तकनीकी पदों पर सरकारी नौकरी की संभावनाएं होती हैं। इन पदों के लिए उम्मीदवारों को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), राज्य लोक सेवा आयोग, या अन्य तकनीकी परीक्षाओं के माध्यम से चयनित किया जाता है। PWD में रोजगार के लिए आवश्यक योग्यता सामान्यतः निम्नलिखित होती है:
शैक्षणिक योग्यता: सिविल इंजीनियरिंग या संबंधित विषय में डिप्लोमा या डिग्री।
प्रतियोगी परीक्षाएं: जैसे SSC JE, State AE/JE, UPSC आदि।
अनुभव: कई बार अनुभव के आधार पर संविदा पर भी नियुक्तियाँ होती हैं।
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PWD में डिजिटल परिवर्तन
PWD ने हाल के वर्षों में तकनीकी बदलावों को अपनाया है:
1. ई-गवर्नेंस: सभी टेंडर और परियोजनाओं का ऑनलाइन प्रबंधन।
2. GIS मैपिंग: परियोजनाओं की निगरानी के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग।
3. मोबाइल एप्लीकेशन: निगरानी, रिपोर्टिंग और फीडबैक के लिए मोबाइल आधारित प्रणाली।
4. ड्रोन सर्वे: निर्माण स्थलों की निगरानी और भूमि सर्वेक्षण के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग।
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PWD की चुनौतियाँ
1. वित्तीय बाधाएं: समय पर बजट न मिलना या फंड्स की कमी।
2. भ्रष्टाचार और टेंडरिंग में अनियमितता।
3. तकनीकी स्टाफ की कमी।
4. परियोजनाओं में देरी और गुणवत्ता का अभाव।
5. राजनीतिक हस्तक्षेप और नौकरशाही जटिलताएँ।
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भविष्य की दिशा
PWD को देश के आधारभूत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहना है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:
1. नवाचार को अपनाना: नई निर्माण तकनीकों को अपनाना चाहिए।
2. गुणवत्ता नियंत्रण: कार्यों की गुणवत्ता पर सख्ती से निगरानी।
3. समय प्रबंधन: समय पर परियोजनाओं का पूरा होना सुनिश्चित करना।
4. स्थायित्व (Sustainability): पर्यावरण के अनुकूल निर्माण कार्यों को बढ़ावा देना।
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निष्कर्ष
सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) देश की प्रगति की रीढ़ है। यह वह विभाग है जो नागरिकों को मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाता है। चाहे वह सड़क हो, पुल हो या जल व्यवस्था, PWD का कार्य हर नागरिक के जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। आज की बदलती दुनिया में जब भारत विकासशील से विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर है, तब PWD की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
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