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म्यांमार (बर्मा): इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक संरचना पर एक विस्तृत अध्ययन
परिचय
म्यांमार, जिसे पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था, दक्षिण-पूर्व एशिया का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है। यह देश भारत, चीन, थाईलैंड, लाओस और बांग्लादेश से घिरा हुआ है और बंगाल की खाड़ी से इसकी समुद्री सीमा जुड़ी हुई है। म्यांमार का इतिहास, प्राकृतिक संसाधन, जातीय विविधता, बौद्ध संस्कृति और सैन्य शासन इसे एक अद्वितीय पहचान प्रदान करते हैं।
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1. म्यांमार का प्राचीन इतिहास
म्यांमार का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में पाइयू सभ्यता यहाँ फली-फूली, जो बौद्ध धर्म की अनुयायी थी। 9वीं शताब्दी में बर्मन लोगों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया और पगान साम्राज्य की स्थापना की।
पगान साम्राज्य (1044–1287):
इस साम्राज्य ने पूरे म्यांमार को एकीकृत किया।
बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ।
पगान शहर में हजारों बौद्ध मंदिर बने, जिनमें से कई आज भी संरक्षित हैं।
मंगोल आक्रमण और बिखराव:
13वीं शताब्दी में मंगोलों के आक्रमण से पगान साम्राज्य का पतन हुआ।
इसके बाद म्यांमार कई छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया।
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2. औपनिवेशिक काल और ब्रिटिश शासन
19वीं शताब्दी में म्यांमार पर ब्रिटेन ने कब्ज़ा कर लिया। तीन बर्मी युद्धों (1824, 1852, 1885) के बाद, 1886 में यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना।
प्रमुख प्रभाव:
म्यांमार की प्रशासनिक और शैक्षिक संरचना में ब्रिटिश शैली का प्रभाव पड़ा।
भारतीय श्रमिकों का बड़े पैमाने पर आगमन हुआ, जिससे सामाजिक संरचना में बदलाव आया।
बौद्ध भिक्षु और आम जनता अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलित हुए।
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3. स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रयास
स्वतंत्रता (1948):
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 4 जनवरी 1948 को म्यांमार को स्वतंत्रता मिली।
इसे संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया।
ने विन और सैन्य शासन:
1962 में जनरल ने विन ने तख्तापलट कर लोकतंत्र को समाप्त कर दिया और 'बर्मी रास्ते से समाजवाद' लागू किया।
देश में एकपक्षीय शासन और आर्थिक मंदी शुरू हुई।
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4. आधुनिक म्यांमार और लोकतंत्र की चुनौतियाँ
2008 संविधान और चुनाव:
सैन्य सरकार ने एक नया संविधान लागू किया।
2010 में चुनाव हुए, लेकिन व्यापक रूप से इन्हें पक्षपाती माना गया।
आंग सान सू की और एनएलडी:
2015 में आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की।
हालांकि, सेना ने 2021 में फिर से तख्तापलट कर सरकार को गिरा दिया और आपातकाल लागू किया।
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5. जातीय विविधता और संघर्ष
म्यांमार में लगभग 135 मान्यता प्राप्त जातीय समूह हैं। बामर (बर्मी) सबसे बड़ा समूह है।
प्रमुख जातीय समूह:
शान
करेन
चिन
कचिन
रोहिंग्या (विवादित अल्पसंख्यक)
रोहिंग्या संकट:
रखाइन राज्य में रहने वाले मुस्लिम रोहिंग्या समुदाय को नागरिकता से वंचित किया गया।
2017 में सैन्य कार्रवाई के बाद लाखों रोहिंग्या बांग्लादेश में शरणार्थी बन गए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमार की आलोचना हुई।
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6. म्यांमार की संस्कृति
धर्म:
लगभग 90% जनसंख्या बौद्ध है।
बाकी ईसाई, इस्लाम, हिंदू और स्थानीय धर्मों का पालन करते हैं।
भाषा:
बर्मी (म्यांमार भाषा) राष्ट्रभाषा है।
अन्य जातीय भाषाएं जैसे शान, कचिन, करेन भी बोली जाती हैं।
त्योहार:
थिंगयान (जल महोत्सव)
तदिंग्युत (प्रकाश पर्व)
क्यौक पादौंग मंदिर उत्सव
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7. अर्थव्यवस्था
प्राकृतिक संसाधन:
गैस, तेल, जवाहरात, टिम्बर, चाय और चावल
मुख्य क्षेत्र:
कृषि: प्रमुख रोजगार स्रोत
खनन और ऊर्जा
पर्यटन: बागान, इनले झील, यांगून, मंडाले
चुनौतियाँ:
भ्रष्टाचार
सैन्य शासन का आर्थिक नियंत्रण
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध
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8. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
शिक्षा:
औपनिवेशिक काल में मजबूत शिक्षण प्रणाली थी।
सैन्य शासन के दौरान गिरावट आई।
आज भी संसाधनों की भारी कमी है।
स्वास्थ्य:
ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की भारी कमी है।
विदेशी सहायता पर काफी निर्भरता है।
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9. अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत से संबंध:
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंध
भारत पूर्वोत्तर में विद्रोह से निपटने के लिए सहयोग करता है।
चीन से संबंध:
म्यांमार की सैन्य सरकार को चीन का समर्थन प्राप्त है।
कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में चीन का निवेश
आसियान (ASEAN):
म्यांमार 1997 से सदस्य है।
लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर दबाव के बावजूद सदस्यता बनी हुई है।
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10. भविष्य की दिशा
म्यांमार की स्थिति अस्थिर है। लोकतंत्र की बहाली, मानवाधिकारों का सम्मान, जातीय समूहों के बीच संवाद, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग इसकी स्थिरता और विकास के लिए अनिवार्य हैं।
संभावित सुधार:
समावेशी राजनीति
नागरिक अधिकारों की बहाली
शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश
युवाओं को सशक्त बनाना
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निष्कर्ष
म्यांमार एक ऐसा देश है जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, ऐतिहासिक रूप से जटिल और राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। इसकी स्थिरता सिर्फ आंतरिक सुधारों पर नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग पर भी निर्भर करती है। यदि यह देश समावेशी विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर बढ़ता है, तो दक्षिण-पूर्व एशिया में यह एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर सकता है।
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