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आर.बी.एम. (River Bed Material): एक विस्तृत अध्ययन
प्रस्तावना
प्राकृतिक संसाधन मानव सभ्यता के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हीं संसाधनों में से एक है आर.बी.एम. (RBM), जिसका पूर्ण रूप है River Material। यह सामग्री मुख्यतः नदियों के तल से प्राप्त होती है और निर्माण क्षेत्र में इसका उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस लेख में हम आर.बी.एम. की परिभाषा, प्रकार, उपयोग, लाभ-हानि, इसके खनन की प्रक्रिया, पर्यावरण पर प्रभाव तथा संबंधित सरकारी नियमों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
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1. आर.बी.एम. क्या है
आर.बी.एम. का अर्थ होता है वह प्राकृतिक सामग्री जो नदियों के तल से प्राप्त होती है। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित शामिल होते हैं:
रेत (Sand)
बजरी (Gravel)
छोटे-बड़े पत्थर (Pebbles & Boulders)
गाद (Silt)
ये सभी सामग्री नदी द्वारा हजारों वर्षों में लायी जाती हैं और नदी के तल में एकत्रित होती रहती हैं।
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2. आर.बी.एम. के प्रकार
आर.बी.एम. को उसकी बनावट, स्थान और उपयोग के आधार पर विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
2.1 रेत (Sand)
रेत एक महीन कण वाली सामग्री होती है, जिसका उपयोग ईंट, सीमेंट और कंक्रीट निर्माण में होता है।
2.2 बजरी (Gravel)
रेत से थोड़ी मोटी होती है और कंक्रीट में मजबूती के लिए मिलाई जाती है।
2.3 बोल्डर (Boulders)
बड़े आकार के पत्थर, जो सड़कों और पुलों के निर्माण में इस्तेमाल किए जाते हैं।
2.4 साइल्ट (Silt)
बहुत महीन मिट्टी, जो कभी-कभी मिट्टी सुधार और कृषि में भी प्रयोग की जाती है।
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3. आर.बी.एम. का निर्माण क्षेत्र में उपयोग
3.1 भवन निर्माण
आर.बी.एम. से निर्मित रेत और बजरी कंक्रीट, प्लास्टरिंग व अन्य निर्माण कार्यों में प्रयोग होती है।
3.2 सड़क निर्माण
बोल्डर और बजरी सड़क की नींव को मजबूत करने में काम आते हैं।
3.3 जल निकासी प्रणाली
नालियों और सीवेज की मजबूती के लिए आर.बी.एम. का प्रयोग होता है।
3.4 अन्य निर्माण
पुल, डैम, रेलवे ट्रैक आदि के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है।
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4. आर.बी.एम. के खनन की प्रक्रिया
4.1 सर्वेक्षण
खनन से पहले सरकारी एजेंसियां सर्वे करती हैं कि कहां और कितनी मात्रा में आर.बी.एम. उपलब्ध है।
4.2 परमिट और लाइसेंस
आर.बी.एम. निकालने के लिए खनन अनुज्ञा (Permit) और पर्यावरण मंजूरी (EC) लेना जरूरी होता है।
4.3 मशीनरी का प्रयोग
खनन कार्य में JCB, ट्रैक्टर, डंपर जैसी भारी मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
4.4 परिवहन
खनन के बाद इसे वाहनों द्वारा निर्माण स्थलों तक पहुंचाया जाता है।
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5. आर.बी.एम. का पर्यावरणीय प्रभाव
5.1 नदी पारिस्थितिकी पर असर
ज्यादा खनन से नदियों की गहराई और जल प्रवाह में बदलाव आता है।
5.2 जीव-जंतुओं पर असर
नदी में रहने वाले जीवों का जीवन प्रभावित होता है।
5.3 जल स्तर में गिरावट
आर.बी.एम. के अत्यधिक खनन से जलस्तर घट सकता है।
5.4 भूमि कटाव
नदी के किनारे कमजोर हो जाते हैं और भूमि कटाव की समस्या बढ़ती है।
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6. आर.बी.एम. खनन पर सरकार के नियम
भारत सरकार एवं राज्य सरकारों ने आर.बी.एम. के खनन को नियंत्रित करने के लिए कई नियम बनाए हैं:
6.1 पर्यावरणीय मंजूरी (Environmental Clearance)
हर खनन प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण विभाग से अनुमति आवश्यक होती है।
6.2 खनिज नीति
राज्य सरकारें अपनी खनिज नीति के तहत खनन की अनुमति देती हैं।
6.3 सीमा निर्धारित
हर जिले में खनन की एक सीमा तय होती है जिससे अत्यधिक दोहन रोका जा सके।
6.4 वाहनों की निगरानी
GPS, RFID और चालान व्यवस्था के माध्यम से खनन और परिवहन की निगरानी की जाती है।
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7. आर.बी.एम. उद्योग में रोजगार
आर.बी.एम. खनन क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर रोजगार उत्पन्न होता है:
खनन मजदूर
मशीन ऑपरेटर
वाहन चालक
निर्माण सामग्री विक्रेता
इंजीनियर और पर्यावरण विशेषज्ञ
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8. आर.बी.एम. खनन के लाभ
निर्माण कार्यों को मजबूत और टिकाऊ बनाना
स्थानीय लोगों को रोजगार
सरकार को राजस्व (Revenue)
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में सहायता
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9. आर.बी.एम. खनन की चुनौतियाँ
अवैध खनन की बढ़ती घटनाएं
पर्यावरण क्षति
नदी जल स्तर का असंतुलन
प्रशासनिक निगरानी की कमी
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10. वैकल्पिक समाधान
10.1 मैन्युफैक्चर्ड सैंड (M-Sand)
पत्थरों को पीसकर कृत्रिम रेत बनाई जाती है।
10.2 रीसाइकल निर्माण सामग्री
पुरानी बिल्डिंग का मलबा रिसाइक्लिंग करके दोबारा उपयोग में लाया जाता है।
10.3 खनन क्षेत्रों की मरम्मत
खनन के बाद पुनर्स्थापन योजना लागू की जाती है।
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11. निष्कर्ष
आर.बी.एम. एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन है जो भारत के निर्माण कार्यों की रीढ़ है। इसका सदुपयोग हमारे देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में अत्यंत सहायक है, परंतु इसके अत्यधिक और अनियंत्रित खनन से गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम आर.बी.एम. का संतुलित उपयोग करें और वैकल्पिक साधनों को बढ़ावा दें। सरकार, समाज और उद्योग को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो और विकास भी बना रहे।
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