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🌐 रूस और उत्तर कोरिया: ऐतिहासिक, रणनीतिक और समकालीन संबंधों का विस्तृत विश्लेषण (8000 शब्दों में)
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🔷 प्रस्तावना
विश्व राजनीति में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं होते, बल्कि उनका असर वैश्विक शक्ति संतुलन पर पड़ता है। रूस और उत्तर कोरिया का संबंध ऐसा ही एक जटिल, गूढ़ और रणनीतिक गठजोड़ है जो दशकों से चल रहा है। एक ओर रूस एक वैश्विक महाशक्ति है, तो दूसरी ओर उत्तर कोरिया एक गुप्त और नियंत्रित तानाशाही शासन वाला देश है। दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग की जड़ें इतिहास, सैन्य नीतियों, भू-राजनीति, और अमेरिका-विरोधी मानसिकता में गहराई से बसी हुई हैं।
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🔷 अध्याय 1: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1.1 कोरिया युद्ध से पूर्व संबंध
द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945) के दौरान जापान के कब्जे से कोरिया को आज़ादी मिली।
1945 में कोरिया को 38वें समानांतर (38th Parallel) पर विभाजित किया गया – उत्तर कोरिया (सोवियत समर्थक) और दक्षिण कोरिया (अमेरिका समर्थक)।
सोवियत संघ (अब रूस) ने उत्तर कोरिया को समर्थन देकर किम इल-सुंग को नेता बनाया।
1.2 कोरियाई युद्ध और सोवियत भूमिका
1950–1953 में कोरियाई युद्ध हुआ जिसमें उत्तर कोरिया को सोवियत संघ और चीन का समर्थन मिला।
रूस ने युद्ध के दौरान हथियार, टैंक, फाइटर जेट्स और सलाहकार दिए।
युद्धविराम (Armistice) हुआ लेकिन कोई औपचारिक शांति समझौता नहीं हुआ, जिससे तनाव बना रहा।
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🔷 अध्याय 2: शीत युद्ध काल में संबंध
2.1 साम्यवादी विचारधारा में एकता
रूस और उत्तर कोरिया दोनों साम्यवादी शासन प्रणाली में विश्वास रखते थे।
उत्तर कोरिया ने सोवियत शैली के अनुसार योजना आधारित अर्थव्यवस्था को अपनाया।
2.2 तकनीकी और आर्थिक सहायता
रूस ने भारी मात्रा में उत्तर कोरिया को औद्योगिक संयंत्र, विद्युत संयंत्र, रसायन शास्त्र और शिक्षा में सहायता दी।
हजारों उत्तर कोरियाई छात्रों ने सोवियत विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की।
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🔷 अध्याय 3: सोवियत विघटन के बाद संबंधों में बदलाव
3.1 रूस की प्राथमिकताएं बदलीं
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस पूंजीवाद की ओर बढ़ा और पश्चिमी देशों से संबंध सुधारने लगा।
उत्तर कोरिया के साथ संबंध कमजोर हो गए और कई परियोजनाएं रद्द हो गईं।
3.2 आर्थिक संकट और उत्तर कोरिया की समस्याएं
उत्तर कोरिया को रूस से मिलने वाली सहायता रुक गई, जिससे वहाँ भयानक अकाल (Arduous March) आया जिसमें लाखों लोग मारे गए।
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🔷 अध्याय 4: 21वीं सदी में संबंधों का पुनर्निर्माण
4.1 व्लादिमीर पुतिन की नई नीति
व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद रूस ने एशिया में अपना प्रभाव फिर से बढ़ाने की योजना बनाई।
उत्तर कोरिया के साथ आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को दोबारा सक्रिय किया गया।
4.2 2000–2020 के प्रमुख घटनाक्रम
2000 में किम जोंग-इल और व्लादिमीर पुतिन की पहली मुलाकात हुई।
रूस ने उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर "बातचीत द्वारा समाधान" का समर्थन दिया।
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🔷 अध्याय 5: रूस-उत्तर कोरिया संबंधों के स्तंभ
5.1 सैन्य सहयोग
उत्तर कोरिया को मिसाइल, तोप, हथियार प्रणाली और उपग्रह प्रौद्योगिकी में रूस का तकनीकी समर्थन।
रूस-यूक्रेन युद्ध (2022–2025) के दौरान अफवाहें कि उत्तर कोरिया रूस को गोला-बारूद और मिसाइल भेज रहा है।
5.2 आर्थिक व्यापार और श्रमिक सहयोग
सीमित व्यापार होता है, क्योंकि उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं।
रूस में उत्तर कोरियाई मजदूर निर्माण, लकड़ी और मछली उद्योगों में कार्यरत हैं।
रेल कनेक्शन और तेल आपूर्ति को लेकर भी वार्ताएं चलती रहती हैं।
5.3 अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन
रूस ने कई बार संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के विरुद्ध प्रतिबंधों का विरोध या वीटो किया है।
उत्तर कोरिया रूस के यूक्रेन युद्ध को अमेरिका विरोधी संघर्ष मानता है और उसका समर्थन करता है।
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🔷 अध्याय 6: कूटनीतिक यात्राएं और समझौते
6.1 2023 किम जोंग-उन की रूस यात्रा
सितंबर 2023 में किम जोंग-उन रूस गए और पुतिन से मिले।
इस यात्रा के दौरान मिसाइल, उपग्रह, सैन्य उपकरण और साइबर सहयोग पर चर्चा हुई।
उत्तर कोरिया ने रूस को समर्थन दिया कि वह अमेरिका के "दोगले नीति" का शिकार है।
6.2 आपसी समझौते
सैन्य तकनीक, अंतरिक्ष अनुसंधान, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के करार।
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🔷 अध्याय 7: भू-राजनीतिक दृष्टिकोण
7.1 अमेरिका और पश्चिम के विरुद्ध गठजोड़
रूस और उत्तर कोरिया दोनों अमेरिका विरोधी नीति अपनाते हैं।
चीन भी इस त्रिकोणीय गठजोड़ का हिस्सा है: रूस-चीन-उत्तर कोरिया।
इस गठजोड़ का उद्देश्य एशिया में अमेरिका के प्रभाव को रोकना है।
7.2 उत्तर कोरिया: रूस के लिए रणनीतिक बफर
उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया और जापान (दोनों अमेरिका समर्थक) के बीच एक “बफर स्टेट” की तरह है।
रूस इस क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति से चिंतित रहता है।
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🔷 अध्याय 8: चुनौतियाँ और खतरे
8.1 अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध
उत्तर कोरिया पर लगे UN और अमेरिका के प्रतिबंध, रूस के लिए बाधा बनते हैं।
रूस यदि खुलकर समर्थन करता है तो खुद भी वैश्विक आलोचना और प्रतिबंधों का शिकार हो सकता है।
8.2 तकनीकी और मानवीय संकट
उत्तर कोरिया की आंतरिक स्थिति गंभीर है: आर्थिक संकट, खाद्य संकट, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी।
रूस को सहयोग देने में तकनीकी और नैतिक दोनों समस्याएं आती हैं।
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🔷 अध्याय 9: भविष्य की दिशा
9.1 संभावित समझौते
रूस उत्तर कोरिया के साथ संयुक्त परियोजनाएं जैसे – रेलवे विस्तार, गैस पाइपलाइन और उपग्रह प्रक्षेपण – की योजना बना सकता है।
9.2 अमेरिका और NATO की प्रतिक्रिया
यदि रूस-उत्तर कोरिया गठजोड़ मजबूत होता है, तो अमेरिका और उसके सहयोगी एशिया में सैन्य गतिविधियाँ बढ़ा सकते हैं।
9.3 एशिया में शक्ति संतुलन
यह संबंध भविष्य में दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के साथ नई प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन सकता है।
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🔷 निष्कर्ष
रूस और उत्तर कोरिया का संबंध समय के साथ कई रंगों से होकर गुजरा है — मित्रता, तनाव, उदासीनता और अब रणनीतिक गठजोड़। आज जब विश्व एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, तब यह संबंध और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। एक ओर यह वैश्विक शक्ति संतुलन में परिवर्तन ला सकता है, वहीं दूसरी ओर यह पूर्वी एशिया में शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन सकता है। यदि यह गठजोड़ और मजबूत होता है, तो आने वाले वर्षों में विश्व राजनीति की दिशा बदल सकती है।
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