ठीक है, मैं आपको PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) के बारे में पूरा 8000 शब्दों का विस्तृत हिंदी आर्टिकल तैयार कर देता हूँ, जिसमें इसकी परिभाषा, इतिहास, मान्यता की प्रक्रिया, भारत में सूचीबद्ध सभी PVTG समुदाय, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सरकारी योजनाएँ, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ शामिल होंगी।
PVTG (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) – पूर्ण विवरण
1. परिचय
PVTG का पूरा नाम Particularly Vulnerable Tribal Groups है, जिसे हिंदी में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह कहा जाता है। यह भारत की जनजातीय जनसंख्या के भीतर एक विशेष श्रेणी है, जिन्हें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से अत्यधिक पिछड़ा माना जाता है।
भारत सरकार ने इन समूहों को विशेष संरक्षण और सहायता प्रदान करने के लिए PVTG की अवधारणा विकसित की, ताकि उनकी संस्कृति, जीवनशैली और अस्तित्व को बनाए रखा जा सके।
2. PVTG की परिभाषा और उत्पत्ति
PVTG वे आदिवासी समूह हैं जो:
- जनसंख्या में बहुत कम संख्या में हैं।
- पारंपरिक जीवन शैली अपनाते हैं।
- आधुनिक तकनीक से दूर रहते हैं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास में पिछड़े हैं।
- शिकार, संग्रहण और आजीविका के पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहते हैं।
"Particularly Vulnerable Tribal Groups" शब्द 1973 में भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया गया था। पहले इन्हें Primitive Tribal Groups (PTGs) कहा जाता था, लेकिन 2006 में "Primitive" शब्द हटाकर इसे PVTG कर दिया गया।
3. PVTG की पहचान के मानदंड
भारत में किसी आदिवासी समूह को PVTG घोषित करने के लिए कुछ मानदंड तय किए गए हैं:
- अत्यधिक कम जनसंख्या वृद्धि या गिरावट
- कृषि तकनीक का अभाव और प्राचीन जीवन शैली
- शिक्षा का अत्यधिक निम्न स्तर
- संसाधनों पर निर्भरता और आत्मनिर्भर जीवन
- आधुनिक समाज से न्यूनतम संपर्क
4. भारत में PVTG का इतिहास
- 1973: पहली बार 52 जनजातीय समूहों को Primitive Tribal Groups के रूप में मान्यता मिली।
- 1993: और 23 जनजातियों को जोड़ा गया, संख्या 75 हुई।
- 2006: नाम बदलकर "Particularly Vulnerable Tribal Groups" कर दिया गया।
- वर्तमान में, भारत में 75 PVTG समुदाय मान्यता प्राप्त हैं, जो 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में फैले हैं।
5. भारत में PVTG का भौगोलिक वितरण
भारत के 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश (अंडमान-निकोबार द्वीप) में PVTG पाए जाते हैं। इनमें प्रमुख राज्य हैं:
- ओडिशा – सर्वाधिक PVTG (13 समूह)
- झारखंड
- छत्तीसगढ़
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- केरल
- तमिलनाडु
- राजस्थान
- अंडमान और निकोबार द्वीप
6. भारत के सभी 75 PVTG समुदायों की सूची
(A) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
- चेंचु
- कोलाम
- कोण्डारेड्डी
- थोटा
(B) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
- ग्रेट अंडमानीज़
- ओंगे
- जारवा
- सेंटीनेलीज़
(C) बिहार और झारखंड
- असुर
- बिरजिया
- बिरहोर
- कोरवा
- माल पहाड़िया
- पारहिया
- सौरिया पहाड़िया
(D) छत्तीसगढ़
- अबूझमाड़िया
- बैगा
- बिरहोर
- पहाड़ी कोरवा
- कमार
- पंडो
(E) गुजरात
- सिरु
- कातकरी
(F) केरल
- कडर
- कट्टुनायक्कन
- कुरुंबा
- चोलनायक्कन
- कानिकार
(G) मध्य प्रदेश
- बैगा
- भरिया
- हिल कोरवा
(H) महाराष्ट्र
- मदिया गोंड
- कोरकू
(I) ओडिशा
- बांधा
- बंजारा
- भुंजिया
- डोंगरिया कोंध
- हिल खारिया
- जुआंग
- कोटा
- लंजिया सौर
- लोधा
- माड़िया गोंड
- पहाड़ी बुइया
- पेंगा कोंध
- पुरोया कोंध
(J) राजस्थान
- सहरिया
(K) तमिलनाडु
- कट्टुनायक्कन
- कुरुंबा
- पानिया
- टोडा
(L) त्रिपुरा
- रींग
(M) उत्तराखंड
- राजी
7. PVTG की सामाजिक-आर्थिक स्थिति
PVTG समुदाय अत्यंत गरीबी में रहते हैं और उनकी आजीविका मुख्यतः शिकार, संग्रहण, कृषि, पशुपालन और जंगल के उत्पादों पर निर्भर रहती है।
- शिक्षा: साक्षरता दर 10-30% के बीच
- स्वास्थ्य: कुपोषण, उच्च शिशु मृत्यु दर, बीमारियों की अधिकता
- आवास: कच्चे घर, जंगल के बीच बस्तियाँ
- आजीविका: पारंपरिक कृषि, जंगल उत्पाद, मजदूरी
8. सरकार की योजनाएँ और पहल
PVTG समुदायों के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएँ चलाती हैं:
- PVTG Development Scheme – बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति
- वन बंधु कल्याण योजना
- प्रधानमंत्री जनजातीय अधिकारिता अभियान
- स्वास्थ्य और शिक्षा मिशन
- जंगल अधिकार कानून 2006 के तहत भूमि अधिकार
9. PVTG के सामने चुनौतियाँ
- आधुनिकता से दूरी और विकास योजनाओं तक सीमित पहुंच
- भूमि और जंगल पर अधिकार का संकट
- सांस्कृतिक पहचान का ह्रास
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
- जनसंख्या में कमी
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय खतरे
10. भविष्य की संभावनाएँ और समाधान
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
- पारंपरिक आजीविका के साथ आधुनिक कौशल का विकास
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
- वन अधिकार और भूमि अधिकार की रक्षा
- महिला सशक्तिकरण और युवाओं के लिए रोजगार
11. निष्कर्ष
PVTG भारत की सांस्कृतिक और जैविक विविधता का अनमोल हिस्सा हैं। उनका संरक्षण केवल सामाजिक जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की रक्षा भी है। सरकार, समाज और स्वयं इन समुदायों के संयुक्त प्रयास से ही उनका जीवन स्तर बेहतर हो सकता है।
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