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. S-400 ट्रायम्फ प्रणाली (S-400 Triumf System)

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मैं आपको रूस की आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों S-400 ट्रायम्फ (Triumf) और S-500 प्रोमेथियस (Prometey/Prometheus) पर एक पूरा विस्तृत लेख हिंदी में दूँगा। इसमें हम इनके इतिहास, विकास, तकनीकी विशेषताएँ, कार्यप्रणाली, रेंज, तुलना, भारत में इनकी स्थिति और वैश्विक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


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S-400 और S-500 वायु रक्षा प्रणाली : एक विस्तृत लेख

1. प्रस्तावना

दुनिया भर में रक्षा तकनीक लगातार विकसित हो रही है। विशेषकर वायु रक्षा (Air Defence) क्षेत्र में, मिसाइल और लड़ाकू विमान से बचाव करने के लिए आधुनिकतम सिस्टम तैयार किए जा रहे हैं। रूस (Russia) इस क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहा है और उसकी S-400 तथा S-500 मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ (Missile Defence Systems) वर्तमान समय की सबसे उन्नत तकनीकों में गिनी जाती हैं।
इन प्रणालियों का उद्देश्य दुश्मन के विमानों, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और यहां तक कि संभावित हाइपरसोनिक हथियारों को भी नष्ट करना है।


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2. S-400 ट्रायम्फ प्रणाली (S-400 Triumf System)

(क) विकास इतिहास

S-400 प्रणाली का विकास रूस के Almaz Central Design Bureau ने किया।

इसे 1990 के दशक में विकसित किया गया और 2007 में रूस की सेना में शामिल किया गया।

इसका आधिकारिक नाम Triumf (ट्रायम्फ) है, लेकिन इसे सामान्यतः S-400 कहा जाता है।


(ख) मुख्य विशेषताएँ

यह एक लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (SAM) है।

रेंज: लगभग 400 किलोमीटर तक।

ऊँचाई (altitude): 30-35 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम।

मल्टी-टार्गेट क्षमता: एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और उनमें से कई को नष्ट कर सकता है।

यह दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन, हेलिकॉप्टर, क्रूज़ मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट कर सकता है।


(ग) मिसाइल प्रकार

S-400 विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है, जिनमें शामिल हैं:

1. 40N6E मिसाइल – 400 किमी रेंज


2. 48N6 मिसाइल – 250 किमी रेंज


3. 9M96E2 मिसाइल – 120 किमी रेंज


4. 9M96E मिसाइल – 40 किमी रेंज



इस तरह यह शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग-रेंज सुरक्षा प्रदान करता है।

(घ) रडार और सेंसर

S-400 के पास शक्तिशाली 3D Phased Array Radar हैं।

यह 600 किमी दूर तक दुश्मन के विमान या मिसाइल को पहचान सकता है।



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3. S-500 प्रोमेथियस प्रणाली (S-500 Prometey / Prometheus System)

(क) विकास इतिहास

S-500 का विकास भी रूस के Almaz-Antey द्वारा किया गया।

इसे विशेष रूप से Ballistic Missiles, Hypersonic Weapons और Satellites को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसका परीक्षण 2010 के दशक में शुरू हुआ और 2021 में इसे आधिकारिक रूप से रूसी सेना में शामिल किया गया।


(ख) मुख्य विशेषताएँ

यह नेक्स्ट जेनरेशन एयर डिफेन्स सिस्टम है।

रेंज: 600 किलोमीटर तक।

ऊँचाई: 200 किलोमीटर तक – यानी यह अंतरिक्ष (Space) में भी टारगेट को मार गिरा सकता है।

यह एक साथ 10 बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट कर सकता है।

यह हाइपरसोनिक मिसाइल (Mach 5 से तेज़) को रोकने की क्षमता रखता है।

इसका उद्देश्य अमेरिका के THAAD और Aegis Ballistic Missile Defence System जैसी प्रणालियों से बेहतर होना है।


(ग) मिसाइल प्रकार

S-500 विशेष नई मिसाइलों का उपयोग करता है जैसे:

1. 77N6-N मिसाइल – बैलिस्टिक मिसाइल रोधी (ABM)


2. 77N6-N1 मिसाइल – हाइपरसोनिक टारगेट को नष्ट करने वाली



(घ) रडार और सेंसर

इसमें अत्याधुनिक Over-the-Horizon Radar और Space Surveillance Systems हैं।

यह लो-अर्थ-ऑर्बिट (LEO) में उपग्रहों (Satellites) तक को निशाना बना सकता है।



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4. S-400 बनाम S-500 (Comparison)

विशेषता S-400 S-500

सेवा में वर्ष 2007 2021
रेंज 400 किमी 600 किमी
ऊँचाई क्षमता 30-35 किमी 200 किमी
मुख्य उद्देश्य एयरक्राफ्ट, ड्रोन, मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक हथियार, सैटेलाइट
मिसाइल प्रकार 40N6E, 48N6, 9M96E 77N6-N, 77N6-N1
टारगेट 80 तक 10 बैलिस्टिक एक साथ
टेक्नोलॉजी चौथी पीढ़ी (4th Gen) पाँचवीं पीढ़ी (5th Gen)



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5. भारत और S-400

भारत ने रूस से 5 यूनिट S-400 प्रणाली खरीदने का समझौता 2018 में किया।

डिलीवरी 2021 से शुरू हुई और यह प्रणाली अब भारत की वायु रक्षा का हिस्सा है।

इससे भारत को चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरे से सुरक्षा मिलती है।

अमेरिका ने इस डील का विरोध किया और CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी।



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6. वैश्विक परिप्रेक्ष्य

S-400 पहले से ही रूस, चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों में तैनात है।

S-500 अभी सिर्फ रूस की सेना में उपलब्ध है और इसे रूस अपनी स्ट्रैटेजिक डिफेंस शील्ड का हिस्सा मानता है।

इन प्रणालियों से रूस और उसके सहयोगी देशों को विश्व स्तर पर एक मजबूत एंटी-एयर और एंटी-मिसाइल डिफेंस मिलती है।



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7. निष्कर्ष

S-400 और S-500 प्रणालियाँ आज की दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा तकनीक मानी जाती हैं।

S-400 एक शक्तिशाली और विश्वसनीय रक्षा प्रणाली है, जो भारत जैसे देशों के लिए बेहद अहम है।

S-500 भविष्य की रक्षा प्रणाली है, जो अंतरिक्ष तक सुरक्षा प्रदान करती है और आने वाले दशकों में युद्ध रणनीति को पूरी तरह बदल सकती है।


इस प्रकार, रूस की यह दोनों तकनीकें केवल उसके लिए ही नहीं बल्कि विश्व राजनीति और सुरक्षा संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


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