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1. प्रस्तावना
झरिया कोयला क्षेत्र भारत का एक प्रमुख कोयला उत्पादन क्षेत्र है, जो झारखंड राज्य के धनबाद जिले में स्थित है। यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। झरिया कोलफील्ड मुख्य रूप से कोकिंग कोल (Coking Coal) के लिए प्रसिद्ध है, जिसका उपयोग इस्पात निर्माण में होता है। यहां की भूमिगत आग, प्रदूषण, विस्थापन, और पर्यावरणीय समस्याएं इसे एक जटिल और चर्चित क्षेत्र बनाती हैं।
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2. झरिया कोलफील्ड का इतिहास
2.1 प्रारंभिक खोज और विकास
झरिया क्षेत्र में कोयले की खोज 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा की गई थी।
1894 में पहली बार वाणिज्यिक खनन शुरू हुआ।
शुरुआती समय में खनन निजी कंपनियों के द्वारा किया गया।
आजादी के बाद कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया गया और Bharat Coking Coal Limited (BCCL) को इसका संचालन सौंपा गया।
2.2 औपनिवेशिक काल का खनन
ब्रिटिश काल में भारी मात्रा में कोयला निकाला गया।
मजदूरों की स्थिति बेहद खराब थी।
खनन के लिए सुरक्षा मानकों का अभाव था जिससे बाद में भूगर्भीय आग का जन्म हुआ।
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3. भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल
स्थान: झरिया, धनबाद जिला, झारखंड।
क्षेत्रफल: लगभग 450 वर्ग किलोमीटर।
झरिया कोलफील्ड 23° 39' N से 23° 48' N अक्षांश और 86° 11' E से 86° 27' E देशांतर के बीच स्थित है।
इसमें लगभग 112 कोल माइन लीज क्षेत्र हैं।
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4. कोयले का प्रकार और गुणवत्ता
झरिया मुख्यतः कोकिंग कोल (Coking Coal) के लिए प्रसिद्ध है।
कोकिंग कोल उच्च तापमान पर पिघलकर कोक बनाता है जो इस्पात बनाने के लिए जरूरी होता है।
यहां मिलने वाला कोयला भारत में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता का है।
इसमें मौजूद कार्बन की मात्रा अधिक होती है (70% से अधिक)।
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5. खनन की विधियाँ
5.1 ओपन कास्ट (Open Cast Mining)
भूमि को ऊपर से हटाकर कोयला निकाला जाता है।
इस विधि में उत्पादन तेज होता है लेकिन पर्यावरणीय नुकसान अधिक होता है।
5.2 भूमिगत खनन (Underground Mining)
सुरंग बनाकर जमीन के नीचे से कोयला निकाला जाता है।
यह तकनीक पर्यावरण के लिए सुरक्षित मानी जाती है लेकिन महंगी है।
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6. झरिया में भूमिगत आग (Underground Fire)
6.1 आग की उत्पत्ति
झरिया में आग लगने की शुरुआत 1916 में हुई थी।
मुख्य कारण असुरक्षित और अनियंत्रित खनन था।
कोयले के साथ हवा के संपर्क में आने से धीरे-धीरे आग फैलती गई।
6.2 प्रमुख प्रभावित क्षेत्र
बागडिगी, भालगोरिया, गोविंदपुर, भौरा, और कुसुंडा जैसे इलाके आग से सर्वाधिक प्रभावित हैं।
6.3 प्रभाव
वायुप्रदूषण, जलप्रदूषण और भूमि धंसाव।
हजारों घर और लोग विस्थापित हुए।
जान-माल की हानि भी हुई है।
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7. पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव
7.1 पर्यावरणीय प्रभाव
वायु प्रदूषण: सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, और धूल कण।
जल प्रदूषण: कोल वॉशिंग और खदान जल से भूजल प्रदूषित।
भूमि क्षरण और हरियाली की कमी।
7.2 सामाजिक प्रभाव
हजारों परिवारों का विस्थापन।
स्वास्थ्य समस्याएं: अस्थमा, कैंसर, त्वचा रोग।
बेरोजगारी और गरीबी का बढ़ना।
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8. पुनर्वास और पुनर्निर्माण योजनाएँ
8.1 Jharia Action Plan
2009 में भारत सरकार ने "झरिया पुनर्वास योजना" की शुरुआत की।
लक्ष्य: 54,000 से अधिक परिवारों का पुनर्वास।
BCCL और झारखंड सरकार की भागीदारी।
8.2 चुनौतियाँ
पुनर्वास की गति धीमी।
स्थानीय लोगों का विरोध और भूमि विवाद।
योजनाओं में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी।
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9. झरिया और BCCL (Bharat Coking Coal Limited)
9.1 परिचय
BCCL, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी है।
यह झरिया कोलफील्ड का संचालन करती है।
मुख्यालय: धनबाद, झारखंड।
9.2 उत्पादन
BCCL सालाना करोड़ों टन कोयले का उत्पादन करता है।
झरिया में इसके पास 40+ खनन परियोजनाएँ हैं।
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10. आर्थिक महत्व
झरिया कोलफील्ड भारत की कोकिंग कोल आवश्यकता का 50% से अधिक पूरा करता है।
कोयला भारत के ऊर्जा क्षेत्र की रीढ़ है।
स्टील उद्योग, बिजली उत्पादन और रेलवे के लिए अत्यंत आवश्यक।
झारखंड राज्य के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत।
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11. प्रमुख चुनौतियाँ
11.1 आग और पर्यावरणीय संकट
भूमिगत आग अभी भी सक्रिय है।
हर साल नए इलाके इसकी चपेट में आ जाते हैं।
11.2 अवैध खनन
कई स्थानों पर अवैध रूप से कोयला निकाला जाता है।
सुरक्षा जोखिम बढ़ जाते हैं।
11.3 श्रमिकों की समस्याएँ
कम मजदूरी, अस्थायी रोजगार, और सुरक्षा साधनों की कमी।
स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव।
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12. सरकार और न्यायालय की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार झरिया में आग और विस्थापन को लेकर सरकार को निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन पर चेतावनी दी है।
केंद्र और राज्य सरकार ने संयुक्त समितियाँ बनाई हैं।
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13. समाधान और भविष्य की संभावनाएँ
13.1 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) जैसे तकनीक अपनाई जा रही हैं।
आग बुझाने के लिए नाइट्रोजन गैस, बालू भराई, और रासायनिक फॉर्मुलेशन।
13.2 सतत खनन नीति
पर्यावरण और जनहित को ध्यान में रखकर खनन नीति लागू होनी चाहिए।
CSR (Corporate Social Responsibility) का प्रभावी कार्यान्वयन जरूरी है।
13.3 रोजगार के वैकल्पिक साधन
स्थानीय युवाओं को वैकल्पिक रोजगार (शिक्षा, प्रशिक्षण, स्टार्टअप्स) की सुविधा।
महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार योजनाओं को प्रोत्साहन।
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14. निष्कर्ष
झरिया कोलफील्ड भारत के औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक अनमोल धरोहर है, लेकिन आज यह पर्यावरणीय और सामाजिक संकटों का केन्द्र बन चुका है। भूमिगत आग, प्रदूषण, विस्थापन, और सामाजिक समस्याएँ झरिया के लोगों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। यदि सरकार, कंपनियाँ, और समाज एकजुट होकर स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाएं तो झरिया फिर से एक उन्नत औद्योगिक क्षेत्र बन सकता है।
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